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Showing posts from July, 2021

वैदिक युग से भारत का अटूट अंग बलूचिस्तान (नवम्बर 2020)- दक्षिण भारत

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कोरोना संकट काल में निखरता भारत (प्रथम कोरोना संकट काल)- 02 जून 2020

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  कोरोना संकट काल में निखरता भारत (प्रथम कोरोना संकट काल)- 02 जून 2020  1.  कोरोना संकट काल में निखरता भारत-  पार्ट 1  2.  कोरोना संकट काल में निखरता भारत-  पार्ट 2 

Agricultural Structure of Chhattisgarh: A Geographical Analysis (2006), Published by Uttar Bharat Bhoogol Patrika Gorakhpur

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जैव-विविधता एवं संरक्षण- परमिता- 2008 (त्रैमासिक शोध पत्रिका, वाराणसी , वर्ष -1, अंक-1 अप्रैल-जून)

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 जैव-विविधता एवं संरक्षण (2008)

वेदों में पर्यावरण महत्व- परमिता- 2008-09 (शोध-वार्षिकांक, वाराणसी )

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 वेदों में पर्यावरण महत्व (2008-09)

काकोरी से हुई थी नई क्रांति की शुरुआत (19 दिसम्बर 2020)- दक्षिण भारत

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ब्रिटिश   हुकूमत   जो   स्वतंत्रता ,  स्वाभिमान ,  स्वावलंबन   को   कुचल   कर   हिंदुस्तान   पर   अपना   राज   कर   रही   थी ,  उसके खिलाफ संपूर्ण   देश   लड़ रहा   था।   सन  1857  की क्रांति के बाद चापेकर बंधुओं द्वारा रैंड व आयस्टर की हत्या के साथ सैन्यवादी राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ ,  वह भारत के राष्ट्रीय   फलक पर महात्मा गांधी के आगमन तक निर्विरोध जारी रहा ।  लेकिन फरवरी  1922  में चौरा-चौरी की घटना के बाद गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेने से युवाओं को घोर निराशा हुई।                  ब्रिटिश हुकूमत जो स्वतंत्रता , स्वाभिमान , स्वावलंबन को कुचल कर हिंदुस्तान पर अपना राज कर रही थी , उसके खिलाफ संपूर्ण देश लड़ रहा था। सन 1857 की क्रांति के बाद चापेकर बंधुओं द्वारा रैंड व आयस्टर की हत्या के साथ सैन्यवादी राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ , वह भारत के राष्ट्रीय फलक पर महात्मा ...

लेख- गांव की बेटी सबकी बेटी (10 अक्टूबर 2020)

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          एक समय था जब गाँव की बेटी सबकी बेटी थी, उसका सम्मान सबका सम्मान था, उसके पति को भी पहुना के रूप में सम्मान था , लेकिन आज, आधुनिकता के कुचक्र में कैसे गैर-जिम्मेदार समाज की रचना हो रही है जो बीमार है। घरों में कैसी परवरिश और कैसे संस्कार दिए जा रहे हैं। किस प्रकार का आचरण सिख रहे है । हमारा अनुशासन, हमारी मर्यादा और संयम ये हमारे ग्रामीण समाज के श्रृंगार हैं, इनके बंधन आखिर किन कारणों से कमजोर हो गये। आचरणहीनता क्यों पनप गयी है। हमारे देश में कहा गया है कि                     यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।      यानी जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है, वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।              वैदिक काल में कोई भी धार्मिक कार्य नारी की उपस्थिति के बगैर शुरू नहीं होता थ...

नमस्कार।

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