ब्रिटिश हुकूमत जो स्वतंत्रता , स्वाभिमान , स्वावलंबन को कुचल कर हिंदुस्तान पर अपना राज कर रही थी , उसके खिलाफ संपूर्ण देश लड़ रहा था। सन 1857 की क्रांति के बाद चापेकर बंधुओं द्वारा रैंड व आयस्टर की हत्या के साथ सैन्यवादी राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ , वह भारत के राष्ट्रीय फलक पर महात्मा गांधी के आगमन तक निर्विरोध जारी रहा । लेकिन फरवरी 1922 में चौरा-चौरी की घटना के बाद गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेने से युवाओं को घोर निराशा हुई। ब्रिटिश हुकूमत जो स्वतंत्रता , स्वाभिमान , स्वावलंबन को कुचल कर हिंदुस्तान पर अपना राज कर रही थी , उसके खिलाफ संपूर्ण देश लड़ रहा था। सन 1857 की क्रांति के बाद चापेकर बंधुओं द्वारा रैंड व आयस्टर की हत्या के साथ सैन्यवादी राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ , वह भारत के राष्ट्रीय फलक पर महात्मा ...