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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन पर नियंत्रण  (26 मई 2022)- स्वदेश ग्वालियर समूह

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आईपीईएफ के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र विश्व में आर्थिक वृद्धि की नई धुरी के रूप में उभरने वाला है ,  जिसमें भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में शदियों से भारत के व्यापारिक गतिविधियों के केंद्र रहे हैं। जहां आज हिंद-प्रशांत क्षेत्र विश्व व्यापार की 75 प्रतिशत वस्तुओं गमन का मार्ग निर्धारित करता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 38 देश है जिनका विश्व जीडीपी में 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी है तथा विश्व की आधे से अधिक 4.3 अरब जनसंख्या रहती है ,  जो एक ठोस विकल्प के रूप में चीन के निरन्तर बढ़ते विस्तारवादी उद्देश्यों को संतुलन ही नहीं बल्कि नियंतित भी करेगा। https://www.swadeshnews.in/full-page-pdf/epaper/pdf/gwalior/2022/05/26/gwalior/7580 स्वदेश- ग्वालियर समूह 👆  म0प्र0 ( भोपाल, जबलपुर, सागर, रायपुर, बिलासपुर) 👇   दक्षिण भारत- कर्नाटक व तमिलनाडु👇   स्वतंत्र वार्ता- तेलंगाना व आंध्र प्रदेश 👇 जनपथ समाचार- सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) 👇 पूर्वञ्चल प्रहरी- गुवाहाटी व जोरहाट (असम)             ...

चीन के विस्तारवाद पर शिकंजा (03.05.2022)- दैनिक जागरण

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ब्लू इकोनामी पावर बनने के लिए हिंद महासागर पर नियंत्रण आवश्यक है।  भारत सरकार द्वारा मेरिटाइम रूट्स एंड कल्चरल लैंडस्केप एक्रॉस दी ‌इंडियन ओशियन (मौसम) की रणनीति की शुरुआत की गयी है। हिंद महासागर के देशों के साथ भारत के पुराने समुद्री रास्तों को फिर से शुरू कर पूर्वी अफ्रीका ,  अरब ,  भारतीय उपमहाद्वीप और पूर्वी एशियाई देशों के साथ अपने व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित कर चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर शिकंजा कसने की उम्मीद की जानी चाहिए। दक्षिण भारत- तमिलनाडु व कर्नाटक  पूर्वञ्चल प्रहरी- सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) स्वदेश- भोपाल, जबलपुर, सागर, रायपुर, बिलासपुर (म0 प्र0)👇 स्वदेश- ग्वालियर समूह  दैनिक ज्योति- राजस्थान                 हजारों वर्षों से हिंद महासागरीय परिक्षेत्र व्यापार , सुरक्षा , उपनिवेशन और भारतीय संस्कृति के प्रभाव में रहे है। प्रथम शदी में इजिप्त के प्राचीन बंदरगाह बेरेनिके की चल रही खुदाई में भारत से व्या...