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Showing posts from July, 2024
मोदी की विदेशी यात्राओं के निहितार्थ- हिंदी विवेक (अगस्त, 2024)
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पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा का रूस के लिए महत्वपूर्ण है, जो चीन को यह संकेत देने के लिए पर्याप्त है कि रूस के पास अन्य दोस्त भी हैं और वह रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरे विश्व को दो भागों में बांट दिया है, परंतु भारत किसी खेमे में न होकर शांति का पक्षधर रहा है। पश्चिम के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रूस का झुकाव चीन की ओर हुआ है। भारत, चीन व रूस के बीच बढ़ती नजदीकियों से बेहद चिंतित है। ऐतिहासिक रूप से चीन के विरुद्ध भारत का सबसे बड़ा समर्थक रूस ही रहा है, परंतु पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस व चीन के सम्बंध ‘कोई सीमा नहीं’ तक गहरे हो गए हैैं। मोदी की मॉस्को की यह यात्रा, चीन की कूटनीति के बेलगाम सहयोग पर अवरोध का काम करती है। पूर्ण लेख की लिंक - https://hindivivek.org/55940
सुरक्षा व विकास की कसौटी पर एससीओ- स्वदेश (13 जुलाई 2024)
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भारत-ब्रिटेन: संबंधों के क्रमिक विकास की उम्मीद- हस्तक्षेप, राष्ट्रीय सहारा (13.07.2024)
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भारत–ब्रिटेन के रिश्तों में जटिलताएं भी हैं‚ जिनमें वीजा विनिमयीकरण‚ व्यापार अवरोधों और भू–राजनीतिक गतिशीलता जैसे मुद्दों को सावधानी से प्रबंधित किए जाने की जरूरत है। ब्रिटेन की नई सरकार को घरेलू और विदेशी‚ दोनों ही स्तरों पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। नई सरकार से भारत के साथ संबंधों के क्रमिक विकास की उम्मीद की जा सकती है। भारतीय छात्रों और पेशेवरों के प्रति उदार आव्रजन नीति‚ पर्यावरण के विकास और तकनीकी प्रयोग‚ भारत विरोधी गतिविधि और पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद तथा चीन द्वारा प्रस्तुत परिस्थितियों का मुकाबला करने में भारत को ब्रिटेन से सहयोग की उम्मीद है। पूर्व कराए गए चुनाव के परिणाम ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए विपरीत साबित हुए। समय पूर्व कराए गए चुनाव के परिणाम ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए उल्टा साबित हुआ। 14 वर्षों से सत्ता पर काबिज रही कंजर्वेटिव पार्टी को कीर स्टारमर के नेतृत्व की लेबर पार्टी ने ऐतिहासिक मात देते हुए 650 में से 412 सीटें जीती , जबकि कंजर्वेटिव पार्टी 120 सीट , लिबरल डेमोक्रेट पार्टी 71 तथा रिफॉर्म यूक...
वैश्विक स्तर पर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता- दैनिक जागरण (13.07.2024) राष्ट्रीय संस्करण
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समूचे वैश्विक परिवेश में बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच इसी माह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)की शिखर बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया। वहीं इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा के भी कई निहितार्थ सामने आ रहे हैं। अनेक वैश्विक मोर्चों पर भारत की कामयाबी के साथ ही रूस को चीन के निकट आने से रोकने के संदर्भ में भी यह यात्रा महत्वपूर्ण समझी जा रही है सोवियत संघ के विघटन के बाद एक क्षेत्रीय व्यवस्था कायम करने के लिए चीन, रूस और मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच सीमा समझौता के साथ वर्ष 1996 में एससीओ की शुरुआत 'शंघाई फाइव' से हुई थी। वर्ष 2001 में उज्बेकिस्तान को शामिल करने एवं अफगानिस्तान और वहां से जुड़े आतंकवाद पर नजर रखने के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की स्थापना की गई थी। वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान, वर्ष 2023 में ईरान तथा वर्ष 2024 में बेलारूस को इसमें शामिल कर लिया गया है। वैश...