बहुध्रवीय वैश्विक व्यवस्था में भारत- दैनिक जागरण, राष्ट्रीय संस्करण (17.06.2023)
भारत का अमेरिका, रूस और यूरोप तीनों से ही अच्छे संबंध हैं। एक तरफ भारत क्वाड का सदस्य है, वहीं दूसरी तरफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल हैं और इस वर्ष 2023 में इसकी अध्यक्षता भी कर रहा है। भारत ब्रिक्स में सदस्य है तथा जापान में हुए जी-7 में निमंत्रित भी हुआ था। यदि भारत नाटो प्लस में जुड़ जाता है तो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता लगभग समाप्त हो जाएगी तथा रूस के साथ संबंध भी संदेह के घेरे में आ जाएगा। इसलिए अपने रणनीतिक हितों का ध्यान रखते हुए भारत को विश्व के सबसे बड़े सुरक्षा संगठन नाटो से केवल उचित संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है।
सोवियत संघ के पतन के साथ ही शीत युद्ध की समाप्ति हो
गयी और अमेरिका विश्व स्तर पर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा, जिससे एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की शुरुआत हुई। शीत
युद्ध के दौरान अमेरिका से संबंधों का लाभ उठाकर चीन ने खुद को विकसित कर लिया और
आज विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर अमेरिका को चुनौती भी देने लगा है।
वर्तमान में यूक्रेन युद्ध के कारण रूस और चीन एक दूसरे के निकट आ गए है और एक नए
शीत युद्ध की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें विश्व के दूसरे ध्रुव के रूप में चीन अपना दावा
पेश करता है। भारत की स्थिति ऐसी है कि वह अपने पुराने मित्र राष्ट्र रूस का साथ
छोड़ नहीं सकता और नए दोस्त अमेरिका से बढ़ रही निकटता को रोककर अपने को सीमित करना नहीं
चाहता है। रूस से भारत की 60 प्रतिशत सैन्य सामग्री आती है और शेष अमेरिका व
यूरोपीय देशों से आयात होता है। चीन अपनी बढ़ती आर्थिक व सैन्य शक्ति के कारण
अमेरिका के सामरिक हित को प्रभावित कर रहा है। इसलिए चीन पर नकेल कसने के लिए
अमेरिका कई प्रकार की रणनीति बनाकर अपनी आर्थिक व सैन्य शक्ति के विस्तार करने में
लगा हुआ है।
आज पश्चिमी देश भारत को उभरती हुई ताकत के रूप में देखते हैं, जो चीन से सीधे मुकाबला करने में सामर्थवान है तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थायित्व बनाए रखने की क्षमता भी रखता है। भारत के प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा से पूर्व अमेरिकी संसद की एक समिति ने भारत को नाटो प्लस समूह में शामिल करने की सिफारिश की है, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर अंकुश लगाने के साथ वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में भारत-अमेरिका निकट साझेदार बन जाएंगे। इसके निमित्त नाटो जापान में अपना कार्यालय खोलने जा रहा है। शीत युद्ध के समय का सोवियत संघ के विरुद्ध बनाया गया सैन्य संगठन नाटो का विस्तार एशिया तक करने के लिए अमेरिका भारत की ओर हाथ बढ़ा रहा है। नाटो में 31 सदस्य देश है। इसी का विस्तार नाटो प्लस है, जिसमें पांच सदस्यों के रूप में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इजराइल, जापान व दक्षिण कोरिया है। हालांकि नाटो के सदस्य अनुच्छेद पांच से जुड़े हैं, जिसमें किसी एक देश पर हमला सभी देशों पर हमला माना जाता है। परंतु नाटो प्लस में ऐसी किसी प्रकार की सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
भारत विश्व के विभिन्न संगठनों को बराबर के सहभागी के रूप में देखता है, जिसके लिए किसी सैन्य संगठनों का हिस्सा बनना आवश्यक नहीं है। क्वाड के माध्यम से मानव कल्याण, शांति और समृद्धि की दिशा में रचनात्मक एजेंडा के साथ, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र भारत के विजन को व्यावहारिक आयाम दे रहे हैं। भारत की नेबरहुड फर्स्ट और सागर जैसे नए दृष्टिकोण के साथ ही आईटूयूटू जैसे समूहों की स्थापना करना तथा कोविड-19 के समय मददगार देश बन कर विश्व के सामने आने से विकासशील देशों की विश्वसनीय आवाज के रूप में भारत पहचाना जाने लगा है। विश्व के कई स्थानों पर जारी संघर्ष और बड़े देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता की वर्तमान की स्थिति के बावजूद भी भारत की कूटनीति अपने हितों और मूल्यों के अनुरूप ही सफलता पूर्वक आगे बढ़ रही है। आज भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परंतु भारत के बढ़ते प्रभाव के पीछे सबसे बड़ी भूमिका विचारों की और पहल करने की है। भारत ने विश्व में जलवायु की समस्या, आतंकवाद, कनेक्टिविटी, समुद्री सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विमर्श की दशा-दिशा तय करने के साथ नतीजों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैक्सीन मैत्री से लगभग 100 देश लाभान्वित हुए, जिसने भारत के प्रति सद्भाव बढ़ाने का काम किया। इसके साथ ही 78 देशों में फैली भारत की 600 विकास परियोजनाएं अंतरराष्ट्रीय नज़रिए में बदलाव को दिखा रही है। हाल ही में तुर्किए में आए भूकंप जैसी आपदा पर सबसे पहले पहुंचना भारत की क्षमता को भी दर्शाता है। चीन को एकतरफा यथास्थिति में बदलाव से रोकने के लिए सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगाने जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के कदम उठाकर अपनी मजबूती दिखाई है।
अफ्रीका, यूरोप, लैटिन अमेरिका तथा खाड़ी के देशों में लगातार उच्चस्तरीय संपर्कों के माध्यम से तथा दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की भावना को बढ़ाने जैसे कार्यों व प्रयासों के कारण ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की छवि उभर कर आयी है। अपनी सकारात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण के कारण सर्वसम्मति से समाधान देने वाले देश के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। भारत की मनसा बहुध्रुवीय विश्व के निर्माण की है, जबकि अमेरिका व नाटो इसकी अपेक्षा नहीं रखते है तथा चीन एकध्रुवीय एशिया बनाने के लिए भारत को चारों से घेरने की साजिश करता रहता है। भारत के विदेश मंत्री ने एस. जयशंकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि नाटो का खाका भारत पर लागू नहीं होता है। भारत का अमेरिका, रूस और यूरोप तीनों से ही अच्छे संबंध हैं। एक तरफ भारत क्वाड का सदस्य है, वहीं दूसरी तरफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल हैं और इस वर्ष 2023 में इसकी अध्यक्षता भी कर रहा है। भारत ब्रिक्स में सदस्य है तथा जापान में हुए जी-7 में निमंत्रित भी हुआ था। यदि भारत नाटो प्लस में जुड़ जाता है तो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता लगभग समाप्त हो जाएगी तथा रूस के साथ संबंध भी संदेह के घेरे में आ जाएगा। इसलिए अपने रणनीतिक हितों का ध्यान रखते हुए भारत को विश्व के सबसे बड़े सुरक्षा संगठन नाटो से केवल उचित संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है।
आज पश्चिमी देश भारत को उभरती हुई ताकत के रूप में देखते हैं, जो चीन से सीधे मुकाबला करने में सामर्थवान है तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थायित्व बनाए रखने की क्षमता भी रखता है। भारत के प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा से पूर्व अमेरिकी संसद की एक समिति ने भारत को नाटो प्लस समूह में शामिल करने की सिफारिश की है, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर अंकुश लगाने के साथ वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में भारत-अमेरिका निकट साझेदार बन जाएंगे। इसके निमित्त नाटो जापान में अपना कार्यालय खोलने जा रहा है। शीत युद्ध के समय का सोवियत संघ के विरुद्ध बनाया गया सैन्य संगठन नाटो का विस्तार एशिया तक करने के लिए अमेरिका भारत की ओर हाथ बढ़ा रहा है। नाटो में 31 सदस्य देश है। इसी का विस्तार नाटो प्लस है, जिसमें पांच सदस्यों के रूप में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इजराइल, जापान व दक्षिण कोरिया है। हालांकि नाटो के सदस्य अनुच्छेद पांच से जुड़े हैं, जिसमें किसी एक देश पर हमला सभी देशों पर हमला माना जाता है। परंतु नाटो प्लस में ऐसी किसी प्रकार की सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
भारत विश्व के विभिन्न संगठनों को बराबर के सहभागी के रूप में देखता है, जिसके लिए किसी सैन्य संगठनों का हिस्सा बनना आवश्यक नहीं है। क्वाड के माध्यम से मानव कल्याण, शांति और समृद्धि की दिशा में रचनात्मक एजेंडा के साथ, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र भारत के विजन को व्यावहारिक आयाम दे रहे हैं। भारत की नेबरहुड फर्स्ट और सागर जैसे नए दृष्टिकोण के साथ ही आईटूयूटू जैसे समूहों की स्थापना करना तथा कोविड-19 के समय मददगार देश बन कर विश्व के सामने आने से विकासशील देशों की विश्वसनीय आवाज के रूप में भारत पहचाना जाने लगा है। विश्व के कई स्थानों पर जारी संघर्ष और बड़े देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता की वर्तमान की स्थिति के बावजूद भी भारत की कूटनीति अपने हितों और मूल्यों के अनुरूप ही सफलता पूर्वक आगे बढ़ रही है। आज भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परंतु भारत के बढ़ते प्रभाव के पीछे सबसे बड़ी भूमिका विचारों की और पहल करने की है। भारत ने विश्व में जलवायु की समस्या, आतंकवाद, कनेक्टिविटी, समुद्री सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विमर्श की दशा-दिशा तय करने के साथ नतीजों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैक्सीन मैत्री से लगभग 100 देश लाभान्वित हुए, जिसने भारत के प्रति सद्भाव बढ़ाने का काम किया। इसके साथ ही 78 देशों में फैली भारत की 600 विकास परियोजनाएं अंतरराष्ट्रीय नज़रिए में बदलाव को दिखा रही है। हाल ही में तुर्किए में आए भूकंप जैसी आपदा पर सबसे पहले पहुंचना भारत की क्षमता को भी दर्शाता है। चीन को एकतरफा यथास्थिति में बदलाव से रोकने के लिए सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगाने जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के कदम उठाकर अपनी मजबूती दिखाई है।
अफ्रीका, यूरोप, लैटिन अमेरिका तथा खाड़ी के देशों में लगातार उच्चस्तरीय संपर्कों के माध्यम से तथा दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की भावना को बढ़ाने जैसे कार्यों व प्रयासों के कारण ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की छवि उभर कर आयी है। अपनी सकारात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण के कारण सर्वसम्मति से समाधान देने वाले देश के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। भारत की मनसा बहुध्रुवीय विश्व के निर्माण की है, जबकि अमेरिका व नाटो इसकी अपेक्षा नहीं रखते है तथा चीन एकध्रुवीय एशिया बनाने के लिए भारत को चारों से घेरने की साजिश करता रहता है। भारत के विदेश मंत्री ने एस. जयशंकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि नाटो का खाका भारत पर लागू नहीं होता है। भारत का अमेरिका, रूस और यूरोप तीनों से ही अच्छे संबंध हैं। एक तरफ भारत क्वाड का सदस्य है, वहीं दूसरी तरफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल हैं और इस वर्ष 2023 में इसकी अध्यक्षता भी कर रहा है। भारत ब्रिक्स में सदस्य है तथा जापान में हुए जी-7 में निमंत्रित भी हुआ था। यदि भारत नाटो प्लस में जुड़ जाता है तो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता लगभग समाप्त हो जाएगी तथा रूस के साथ संबंध भी संदेह के घेरे में आ जाएगा। इसलिए अपने रणनीतिक हितों का ध्यान रखते हुए भारत को विश्व के सबसे बड़े सुरक्षा संगठन नाटो से केवल उचित संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है।
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