प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़े विश्व, कोई भी न छूटे पीछे (07 सितंबर 2023)
भारत के लिए, जी-20 प्रेसीडेंसी केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए हैं। आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की बात आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है। जी-20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है। यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है। मुझे विश्वास है कि हमारे जी-20 प्रतिनिधि इसे स्वयं महसूस करेंगे।
वसुधैव कुटुम्बकम् द्ग हमारी भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहित है। इसका अर्थ है, ‘पूरी दुनिया एक परिवार है।’ यह एक ऐसा सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन न हो। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है। हम ‘वन अर्थ’ के रूप में मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं, ‘वन फैमिली’ के रूप में विकास के लिए एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं और ‘वन फ्यूचर’ के लिए साझा उज्ज्वल भविष्य की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।
कोरोना वैश्विक महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था इससे पहले की दुनिया से बहुत अलग है। कई अन्य बातों के अलावा, तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। पहला, इस बात का एहसास बढ़ रहा है कि दुनिया के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। दूसरा, दुनिया ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के महत्व को पहचान रही है। तीसरा, वैश्विक संस्थानों में सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान सामने है। जी-20 की हमारी अध्यक्षता ने इन बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। दिसंबर 2022 में जब हमने इंडोनेशिया से अध्यक्षता का भार संभाला था, तब मैंने यह लिखा था कि जी-20 को मानसिकता में आमूलचूल परिवर्तन का वाहक बनना चाहिए।
विकासशील देशों, ग्लोबल साउथ के देशों और अफ्रीकी देशों की हाशिए पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी विशेष आवश्यकता है। इसी सोच के साथ भारत ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का भी आयोजन किया था। इस समिट में 125 देश भागीदार बने। यह भारत की अध्यक्षता के तहत की गई सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक रही। यह ग्लोबल साउथ के देशों से उनके विचार, उनके अनुभव जानने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसके अलावा, हमारी अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है, बल्कि जी-20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने पर भी जोर दिया गया है। हमारी दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है, इसका मतलब यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारी चुनौतियां भी आपस में जुड़ी हुई हैं। यह 2030 एजेंडा के मध्य काल का वर्ष है। कई लोग चिंता जता रहे हैं कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के मुद्दे पर प्रगति पटरी से उतर गई है। एसडीजी के मोर्चे पर तेजी लाने से संबंधित जी-20 2023 का एक्शन प्लान भविष्य की दिशा निर्धारित करेगा। इससे एसडीजी को हासिल करने की राह तैयार होगी।
भारत में, प्राचीन काल से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना हमारा एक आदर्श रहा है। ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इस दौरान क्लाइमेट एक्शन का ध्यान रखने के साथ देखना होगा कि क्लाइमेट फाइनेंस और ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी का भी ख्याल रखा जाए। हमारा मानना है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पाबंदियों वाले रवैये को बदलना चाहिए। ‘क्या नहीं किया जाना चाहिए’ से हटकर ‘क्या किया जा सकता है’ वाली सोच अपनानी होगी, एक रचनात्मक कार्यसंस्कृति पर ध्यान केंद्रित करना होगा। एक टिकाऊ और सुदृढ़ ‘ब्लू इकॉनमी’ के लिए चेन्नई एचएलपी महासागरों को स्वस्थ रखने में जुटी है। ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर के साथ, हमारी अध्यक्षता में स्वच्छ एवं ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित ग्लोबल इकोसिस्टम तैयार होगा। 2015 में हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस को शुरू किया था। अब, ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस के माध्यम से हम दुनिया को एनर्जी ट्रांजिशन के योग्य बनाने में सहयोग करेंगे। इससे ‘सर्कुलर इकॉनमी’ का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा। क्लाइमेट एक्शन को लोकतांत्रिक स्वरूप देना, इस आंदोलन को गति देने का सबसे अच्छा तरीका है। जैसे लोग स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रोजमर्रा के निर्णय लेते हैं, वैसे ही वे इस धरती की सेहत पर होने वाले असर को ध्यान में रखकर अपनी जीवनशैली तय कर सकते हैं। जैसे योग वैश्विक जन आंदोलन बन गया है, वैसे ही हम ‘लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबल इनवायरनमेंट’ (लाइफ) को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण, खाद्य व पोषण सुरक्षा एक बड़ी चुनौती होगी। मोटा अनाज या श्रीअन्न से बड़ी मदद मिल सकती है। श्रीअन्न ‘क्लाइमेट स्मार्ट’ कृषि को बढ़ावा दे रहा है। ‘इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स’ के दौरान हमने श्रीअन्न को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है। ‘द डेक्कन हाई लेवल प्रिंसिपल्स ऑन फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन’ से भी इस दिशा में मदद मिल सकती है।
तकनीक परिवर्तनकारी है पर इसे समावेशी भी बनाने की जरूरत है। अतीत में, तकनीकी प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों को समान रूप से नहीं मिला। बीते कुछ वर्षों में भारत ने दिखाया है कि कैसे तकनीक का लाभ उठाकर असमानताओं को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, दुनिया भर में अरबों लोग जिनके पास बैंकिंग सुविधा नहीं है, या जिनके पास डिजिटल पहचान नहीं है, उन्हें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के माध्यम से साथ लिया जा सकता है। इससे हमने जो परिणाम प्राप्त किए हैं, उन्हें पूरी दुनिया देख रही है, उसके महत्त्व को स्वीकार रही है। अब, जी-20 के माध्यम से हम विकासशील देशों को डीपीआई अपनाने, तैयार करने व उसका विस्तार करने में मदद करेंगे, ताकि वे समावेशी विकास की ताकत हासिल कर सकें।
भारत का सबसे तेज गति से बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाना कोई आकस्मिक घटना नहीं है। हमारे सरल, व्यावहारिक और सस्टेनेबल तरीकों ने कमजोर और वंचित लोगों को हमारी विकास यात्रा का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है। हमारी जी-20 प्रेसीडेंसी जेंडर डिजिटल डिवाइड को पाटने, लेबर फोर्स में भागीदारी के अंतर को कम करने और निर्णय लेने में महिलाओं की एक बड़ी भूमिका को सक्षम बनाने पर काम कर रही है।
जी-20 प्रेसीडेंसी का हमारा कार्यकाल खत्म होने तक भारत के 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें हो चुकी होंगी। इस दौरान हम 125 देशों के लगभग 100,000 प्रतिनिधियों की मेजबानी कर चुके होंगे। किसी भी प्रेसीडेंसी ने कभी भी इतने विशाल व विविध भौगोलिक विस्तार को यों शामिल नहीं किया है। भारत की डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डाइवर्सिटी व डवलपमेंट के बारे में किसी और से सुनना एक बात है, उसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करना दूसरी बात। मुझे विश्वास है कि हमारे जी-20 प्रतिनिधि इसे स्वयं महसूस करेंगे। हमारी जी-20 अध्यक्षता विभाजन को पाटने, बाधाओं को दूर करने और सहयोग को गहरा करने का प्रयास करती है। हमारी भावना एक ऐसी दुनिया के निर्माण की है, जहां एकता हर मतभेद से ऊपर हो, जहां साझा लक्ष्य अलगाव की सोच को खत्म कर दे। जी-20 अध्यक्ष के रूप में, हमने वैश्विक पटल को बड़ा बनाने का संकल्प लिया था, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि हर आवाज सुनी जाए और हर देश अपना योगदान दे। मुझे विश्वास है कि हमने कार्यों और स्पष्ट परिणामों के साथ अपने संकल्प पूरे किए हैं।
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