गिलगित-बाल्टिस्तान व पीओजेके की अहमियत गिलगित-बाल्टिस्तान व पाक अधिकृत जम्मू - कश्मीर (पीओजेके) हजारों वर्षों से अखंड भारत हिस्सा रहा है। पाक अधिकृत जम्मू - कश्मीर में शारदा पीठ है जहां पर माता सती का दाहिना हाथ गिरा था , जो 51 शक्तिपीठों में एक है। यह वैदिक काल में अध्ययन का एक प्रमुख केंद्र था। कनिष्क शासनकाल में भी इसका शैक्षिक महत्व रहा है। यहाँ स्थापित शारदा विश्वविद्यालय ने अपनी खुद की शारदा लिपि भी विकसित की थी। विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय होने के साथ ही पाणिनि और अन्य व्याकरणियों द्वारा लिखे गए ग्रंथ संग्रहीत थे। 11 वीं शताब्दी में कल्हण व अलबरूनी ने भी शारदा पीठ की महत्ता को बताया है। समय के साथ बदलती परिस्थितियों व आक्रांताओं से ज्ञान यह केंद्र नष्ट होता रहा। सन 1845 में सिखों की हार के बाद वर्ष 1846 में कश्मीर का हिस्सा अंग्रेजों के हाथ में चला गया। जम्मू के राजा गुलाब सिंह द्वारा कश्मीर के हिस्से को अंग्रेजों से खरीद लेने के साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान का क्षेत्र भी जम्मू-कश्मीर का हिस्सा हो गया। अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर रियासत के भारत में व...