ताइवान से जुड़े भारत के हित- दैनिक जागरण (15.06.2024) राष्ट्रीय संस्करण
आम चुनाव परिणाम के बाद ताइवान के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री को बधाई संदेश देने पर चीन ने विरोध जताया है। परंतु भारत को चीन के दबाव में आए बिना ताइवान की स्वायत्तता का समर्थन करना चाहिए सिंगापुर में दो जून को शांगरी-ला वार्ता सम्मेलन में चीन के रक्षा मंत्री ने अपने उग्र भाषण में कहा कि चीन ताइवान को अपने क्षेत्र के रूप में देखता है और जो कोई भी ताइवान को चीन से अलग करने की हिम्मत करेगा , उसे विनाश का सामना करना पड़ेगा। ताइवान के संबंध में बीजिंग की सैन्य और आर्थिक धमकी को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ गई हैं। वस्तुत: चीन ने हाल ही में एक नक्शा सार्वजनिक किया है जिसमें ताइवान के चारों ओर नौ अभ्यास क्षेत्र जिसमें ताइवान जलडमरूमध्य , ताइवान द्वीप के उत्तर , दक्षिण व पूर्व के अलावा किनमेन , मात्सु , वुकिउ और डोंगयिन द्वीपों के क्षेत्र शामिल थे। इसके साथ ही पूर्वी चीन के फुजियान प्रांत के चीनी तटरक्षक बलों (सीसीजी) ने 23 मई को अपनी संयुक्त गश्त को त्वरित और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए सामरिक व सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण वुकिउ और डोंगयिन द्वीपों के ...
बहुत महत्वपूर्ण विषय है। सतर्कता जरूरी है।
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