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Showing posts from 2023

भारत के साथ संतुलित संबंध जरूरी- राष्ट्रीय सहारा (04 अक्टूबर 2023)

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               चीन द्वारा श्रीलंका के आर्थिक संकट में फांसने जैसी पड़ोस की घटनाओं से सबक लेकर अपने निकटतम व सबसे शक्तिशाली पड़ोसी भारत के साथ पारंपरिक एवं रणनीतिक हितों को संतुलित कर आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर होगा। ड़ॉ. नवीन कुमार मिश्र मालदीव 04 Oct 2023           मालदीव के चुनाव परिणाम में जनता ने इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की जगह राष्ट्रपति पद के लिए मोहम्मद मुइज्जू को अपना नया नेता चुना है , जो 46 प्रतिशत के मुकाबले 54 प्रतिशत मत पाकर जीत गए, जबकि सोहिल वर्ष 2018 में भारी बहुमत से जीत हासिल कर सत्ता में काबिज हुए थे। सोलिह की चुनावी हार के लिए सत्ता विरोधी लहर, कोविड-19 के बाद पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता, अपनी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ मालदीव (एमडीपी) के भीतर ही पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के साथ कलह के अलावा मालदीव की प्रोग्रेसिव पार्टी (पीपीएम) द्वारा भारत को लेकर उठाए गए संप्रभुता से जुड़े मुद्दे को जिम्मेदार माना जा रहा है। पीपीएम ने भारतीय सैन्य कर्मियों को मालदीव स...

यूएनएससी में सुधार परिवर्तन की मांग जोरों पर (हिंदी विवेक, पाक्षिक 1-15 अक्टूबर 2023)

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलावों की मांग की है , जिससे सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाया जा सके। ऐसी सुरक्षा परिषद की जरूरत है , जो आज की दुनिया का प्रतिनिधित्व कर सके। सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया का प्रतिनिधित्व करती है , परंतु आज का वैश्विक परिदृश्य अलग है। 20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में सार्थक नहीं है , इसलिए सुरक्षा परिषद की संरचना को वर्तमान की वास्तविकताओं के अनुरूप समायोजित करने की आवश्यकता है , जिसमें भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

संस्कृति बोध का परिचायक- दैनिक जागरण, राष्ट्रीय संस्करण (15 सितंबर 2023)

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जी-20 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति की ओर से दिए गए रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट आफ भारत' और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सीट पर भारत लिखे जाने से यह विषय चर्चा में तो है, परंतु इससे भारतीयता का बोध होता है      जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति की ओर से दिए गए रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट आफ भारत' लिखा था, जिसने 'भारत बनाम इंडिया' के बीच देश भर में फिर से विमर्श खड़ा कर दिया कि देश का नाम क्या होना चाहिए? उल्लेखनीय है कि राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत एक चक्रवर्ती सम्राट हुए, जिन्हें चारों दिशाओं की भूमि का स्वामी कहा जाता था। सम्राट भरत के नाम पर ही देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। भारत संस्कृत के 'भ्र' धातु से बना है तथा उत्पन्न व निर्वाह जैसे अर्थ लिए हुए है। भारत नाम से सांस्कृतिक शृंखला की कड़ियों को जुड़ने की अनुभूति होती है, जिसकी जड़ें ऐतिहासिक हैं। परंतु भारत की जगह जब इंडिया कहा जाता है, तब हमारी निरंतरता भंग होती दिखाई देती है। वेद, पुराण, उपनिषद, महाभारत तथा ग्रंथों में भारत नाम से ही उल्लेख मिलता है। भा...

वैश्विक मंच पर भारत का बढ़ता कद- स्वदेश (09 सितंबर 2023)

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पूर्वञ्चल प्रहरी  10.09.2023  https://www.glpublications.inhttps//glpublications.in/pages/91e419ea-806b-414d-b6f5-f33a58b5a1f7.jpg

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़े विश्व, कोई भी न छूटे पीछे (07 सितंबर 2023)

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     भारत के लिए, जी-20 प्रेसीडेंसी केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए हैं। आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की बात आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है। जी-20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है। यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है। मुझे विश्वास है कि हमारे जी-20 प्रतिनिधि इसे स्वयं महसूस करेंगे।      वसुधैव कुटुम्बकम् द्ग हमारी भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहित है। इसका अर्थ है, ‘पूरी दुनिया एक परिवार है।’ यह एक ऐसा सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन न हो। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है। हम ‘वन अर्थ’ के रूप में मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं, ‘वन फैमिली’ के रूप में विकास के लिए एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं औ...

जी-20: वैश्विक स्तर पर नए भारत का उदय- हिंदी विवेक (01 सितंबर 2023)

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भारत व यूएई के मजबूत होते संबंध- स्वदेश (18 अगस्त 2023)

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भारत व यूएई के संबंधों की सबसे मजबूत कड़ी अप्रवासी भारतीय है ,  जो यूएई की लगभग एक करोड़ की जनसंख्या में सर्वाधिक  27.49  प्रतिशत हैं (जनसंख्या  2023)  और यूएई की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं। भारत को खाड़ी देशों से विदेशी मुद्रा का स्रोत भी यहीं लोग है तथा पूरी दुनिया में बसे भारतीयों में सर्वाधिक पैसा अमेरिका के बाद यूएई से भेजे जाते है। अबु धाबी में भारत का आईआईटी-दिल्ली कैंपस खलने जा रहा है तथा जनवरी  2024  से पाठ्यक्रम भी शुरू हो जाएगा। https://www.swadeshnews.in/clip-preview/1931WW5nsrVmUWRqC4YNJ7Ju5OwjqaQw01Xj5528713 भारत व यूएई के मजबूत होते संबंध https://www.swadeshnews.in/special-edition/strong-relations-between-india-and-uae-873588    ताजा समाचारों से जुड़े रहने के लिए डाउनलोड करें स्वदेश ऐप - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.ally.swadesh      भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के संबंध गहरे ,  ऐतिहासिक और सांस्कृतिक है ,  तथा इनमें सभ्यतागत समानताओं के...

भारत-अमेरिका संबंध और सांझी चुनौतियां- हिंदी विवेक (01 अगस्त 2023)

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा उपलब्धियों से भरी रही है। भारत-अमेरिका के बीच हुए समझौते देश को तकनीक , उद्योग , आर्थिक , सामरिक , रक्षा , आदि क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिध्द होंगे। भारत-अमेरिका सम्बंध , चीन की विस्तारवादी नीति को नियंत्रित करने के साथ ही विश्व के शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएगा।           यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के साथ चीन की निकटता से उभर कर आई भू-राजनीतिक परिस्थितियां अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को चुनौती दे रही है। अमेरिका को अपनी एक ध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को कायम रखने तथा चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत का साथ जरूरी है। चीन की बढ़ती सैन्य व आर्थिक शक्ति के साथ आक्रामक विस्तारवादी गतिविधियां भारत सहित एशियाई देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यदि भारत अमेरिका के साथ आता है तो चीन की चुनौती का सामना करने में अमेरिका सक्षम हो जाएगा। इस दृष्टि से प्रधानमंत्री मोदी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा भारत व अमेरिका दोनों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तथा द्विपक्षी...

भारत-फ्रांस संबंधों की अहमियत- स्वदेश (22.07.2023)

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भारत के फ्रांस से सम्बन्ध आर्थिक से ज्यादा रणनीतिक रहे हैं। यह संबंध दोनों देशों की रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रों की संप्रभुता के सम्मान की एक जैसी इच्छा से भी पोषित हैं। फ्रांस और भारत दोनों चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमित करने के लिए तत्पर है। भारत-फ्रांस एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और खुले हिंद-प्रशांत के प्रति समान विचार रखते है। सितंबर 2022 में भारत और फ्रांस एक हिंद-प्रशांत त्रिपक्षीय विकास सहयोग कोष स्थापित करने पर सहमत हुए थे, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिये सतत नए समस्या समाधानों का समर्थन करेगा। भारत, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात त्रिपक्षीय पहल का उद्देश्य अफ्रीका के पूर्वी तट से सुदूर प्रशांत तक समुद्री क्षेत्र जागरूकता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना है। https://www.swadeshnews.in/special-edition/importance-of-india-france-relations-870230 अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में बहुध्रुवीय विश्व के हिमायती तथा रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाकर चलने वाले भारत और फ्रांस के बीच गहरे आर्थिक व भू-रणनीतिक संबंध हैं। फ्रांस में भारत के प्रति गहरा सकारात्मक भाव है। वर्ष 1998...

वैश्विक परिदृश्य में भारत-अमेरिका संबंध, स्वदेश ग्वालियर समूह (01.07.2023)

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https://www.swadeshnews.in/special-edition/india-us-relations-in-global-scenario-867473 भारत के प्रधानमंत्री की पहली अमेरिकी राजकीय यात्रा में व्हाइट हाउस की आसपास लहराते तिरंगे बया कर रहे थे कि भारत-अमेरिका संबंधों की एक नई और शानदार शुरूआत हो गई है। विश्व के दो महान लोकतंत्रों को दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अपने संबंधों को मजबूत करते देख रही है। निवेश, रक्षा, तकनीकी, रोजगार, और आतंकवाद जैसे मुद्दो पर हुए समझौते 21वीं के ऐतिहासिक क्षण है। नई तकनीकी को डिजाइन व विकसित करने के लिए साथ मिलकर काम करने से लोगों के जीवन में बदलाव आएगा। चीन पर दुनिया की निर्भरता को कम करने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए भारत एक विकल्प के तौर पर मौजूद है, जहां बड़ी संख्या में लोग तकनीकी के हस्तांतरण को अपनाने के लिए प्रशिक्षित है, इसलिए 21वीं शदी में भारत-अमेरिका के संबंध विश्व को दिशा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित होने वाले है। दुनिया बदल रही है, नए गठबंधन बन रहे हैं, और बदलते समीकरणों के युग में भारत और अमेरिका एक दूसरे के निकट आ रह...

विश्व में महत्वपूर्ण हो रही भारत की भूमिका, दैनिक जागरण (29.06.2023)

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चीन की बढ़ती आक्रामक विस्तारवादी नीतियां तथा रूस के साथ उसकी निकटता से उपजी भू-राजनीतिक परिस्थितियां अमेरिका के एकल वैश्विक नेतृत्व को चुनौती दे रही है। अमेरिका को अपनी स्थिति बरकरार रखने तथा चीन पर नियंत्रण के लिए भारत का साथ जरूरी है । चीन व रूस को छोड़कर विश्व के लगभग सभी शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के साथ जुड़े हैं , जबकि भारत की अपनी रणनीतिक स्वायतत्ता है। अब यदि भारत अमेरिका के साथ आता है तो चीन की चुनौती का सामना करने में अमेरिकी समृद्ध हो जाएगा। साथ ही आतंकवाद , महामारी , जलवायु जैसी समस्याओं को सुलझाने में भारत का योगदान भी महत्वपूर्ण रहने वाला है।  National Edition https://epaper.jagran.com/mepaper/29-Jun-2023-262-national-edition-national-page-9.html?utm_source=referral&utm_medium=Twitter&utm_campaign=web_share via @Dainik Jagran

बहुध्रवीय वैश्विक व्यवस्था में भारत- दैनिक जागरण, राष्ट्रीय संस्करण (17.06.2023)

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भारत का अमेरिका ,  रूस और यूरोप तीनों से ही अच्छे संबंध हैं। एक तरफ भारत क्वाड का सदस्य है ,  वहीं दूसरी तरफ  शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)  में शामिल हैं और इस वर्ष 2023 में इसकी अध्यक्षता भी कर रहा है। भारत ब्रिक्स में सदस्य है तथा जापान में हुए जी-7 में निमंत्रित भी हुआ था। यदि भारत नाटो प्लस में जुड़ जाता है तो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता लगभग समाप्त हो जाएगी तथा रूस के साथ संबंध भी संदेह के घेरे में आ जाएगा।   इसलिए अपने रणनीतिक हितों का ध्यान रखते हुए भारत को विश्व के सबसे बड़े सुरक्षा संगठन नाटो से  केवल  उचित संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है।           सोवियत संघ के पतन के साथ ही शीत युद्ध की समाप्ति हो गयी और अमेरिका विश्व स्तर पर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा , जिससे एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की शुरुआत हुई। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका से संबंधों का लाभ उठाकर चीन ने खुद को विकसित कर लिया और आज विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर अमेरिका को चुनौती भी देने लगा है। वर्तमान में यूक्रेन युद्ध के क...